बस एक पूड़ी और लीजिए हमारे कहने से
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दामादों की ससुराल में बड़ी आवाभगत हुआ करती थी उस जमाने में। पहली बार पत्नी
को लेने रात भर की बस यात्रा करके जब ससुराल पहुंचे तो भूख लग आई थी। ससुराल
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Tuesday, June 30, 2009
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1 टिप्पणियाँ:
बहुत बेहतरीन। मैने माइकल को कभी न देखा, न सुना। मौत की खबर के बाद ही जो एल्बम टीवी पर दिखाए जा रहे थे, देखा। तब मुझे एहसास हुआ कि माइकल बहुत जबरदस्त एनर्जी लेवल वाले आदमी थे। शायद अब उनकी तरह का कलाकार दुनिया में न हो, क्योंकि जो स्पीड उनके अंदर थी, किसी में नहीं मिली। साथ ही उसी स्पीड से गायन भी। भारत में तो उसका १ प्रतिशत भी किसी कलाकार में नहीं हो पाया। कुछ लोगों ने नकल की कोशिश की, वह भी अलग-अलग। या तो गायन के स्तर पर या नृत्य के स्तर पर। दोनों मोर्चे पर तो कोई कोशिश भी नहीं कर पाया।
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