Saturday, October 10, 2009

जब ऐसी ख़ूबसूरत सैनिक हो तो जंग कैसे हो?

























9 टिप्पणियाँ:

निर्झर'नीर said...

yakinan aapka shirshak sahi hai..

satyam shivam sundaram

Udan Tashtari said...

जंग कैसी...सब प्यार से रहो. :)

दिनेशराय द्विवेदी said...

चलिए, जंग की सूरत तो बदली। अब मोहब्बत का मौका तो रहेगा।

Anonymous said...

क्या कहूँ!

बी एस पाबला

निशाचर said...

इन्हें बंदूकों की जरूरत ही कहाँ है? दुश्मन तो सूरत देखकर ही मर जायेगा. अगर बच गया तो नजर के तीर उसे फिर उठने लायक नहीं छोडेंगे. हा हा हा .........

संजय बेंगाणी said...

बिन गोली मर जाएं :)

Motion Blog said...

आप सभी की टिप्पणीयों केलिए आभार, शुक्रिया।

मोशनब्लॉग

Syed Hyderabadi said...

अगर यह सब मैदान में आ जाएँ तो फिर घर में कौन रहे और अगली नस्लें कहाँ से आयें गी ??

Dr Prabhat Tandon said...

वाह दिल बाग -२ हो गया :)

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